परमपिता की हम स्तुति गायें
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| परमपिता की हम स्तुति गायें | ||
| वो ही है जो बचाता हमें | ||
| सारे पापों को करता क्षमा | ||
| सारे रोगों को करता चंगा | ||
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| | धन्यवाद दे उसके आसनों में | |
| | आनंद से आयें उसके चरणों में | |
| | संगीत गाकर खुशी से | |
| | मुक्ति की चट्टान को जय ललकारें | |
| | परमपिता की... | |
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| वो ही हमारा है परम पिता | ||
| तरस खाता है सर्व सदा | ||
| पूरब से पश्चिम है जितनी दूर | ||
| उतनी ही दूर किये हमारे गुनाह | ||
| परमपिता की... | ||
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| | माँ की तरह उसने दी तसल्ली | |
| | दुनिया के खतरों में छोड़ा नहीं | |
| | खालिस दूध है कलाम का दिया | |
| | और दी हमेशा की ज़िन्दगी | |
| | परमपिता की... | |
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| चरवाहे की मानिंद ढूंढा उसने | ||
| पापों की कीच से निकाला हमें | ||
| हमको बचाने को जान अपनी दी | ||
| ताकि हाथ में हम उसके रहें | ||
| परमपिता की... | ||
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| | घोंसले को बार बार तोड़कर उसने | |
| | चाहा की सीखें हम उड़ना उससे | |
| | परों पर उठाया उकाब की तरह | |
| | ताकि हमको चोट ना लगे | |
| | परमपिता... | |
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| õõõ õõõ õõõ | ||

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